हिंदी साहित्य

हिंदी साहित्य की उपन्यास विधा के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए हिंदी उपन्यास अपनी शैलीगत विशिष्टता की दृष्टि से भले ही पाश्चात्य साहित्य विशेष रूप से अंग्रेजी साहित्य के संपर्क और प्रभाव से हिंदी साहित्य के आधुनिक काल की उपज कही जा सकती है किंतु अपने कथा तत्वों की प्रमुखता की दृष्टि से उपन्यास की भारतीय परंपरा भी अत्यंत प्राचीन है तथा कहानियों के प्रति मनुष्य की रूचि अत्यंत आदिम है संभवत तबसे जब मनुष्य ने लिखना भी नहीं सीखा था वेदों में वर्णित अनेक कथाएं प्राचीन मानव की कथा के प्रति रुचि की परिचायक है पुराण रामायण,महाभारत आदि प्राचीन ग्रंथों में एक नहीं अनेक कथाओं का भंडार प्राप्त होता है जो अनेक उपन्यासों की सामग्री प्रस्तुत करता है। आज अनेक उपन्यास कारों ने उनमें से कथाओं को लेकर स्वतंत्र उपन्यासों का सृजन भी किया है । 1) हिंदी उपन्यास का उद्भव -प्राचीन कथाओं में संवाद योजना चरित्र चित्रण आदि औपनयासिक हो जाती है ऋग्वेद की शुुनः शेष की कथा यम यमी संवाद पुरुरवा उर्वशीी संवाद आदि में पर्ययाप्त है इसके बाद ब्राह्मण ग्रंथों और पुराणों के अनेक महापुरुषों की कथाओं का वर्णन है इन्हें इ...